नया पुराना 

15-10-2022

नया पुराना 

मंजु आनंद (अंक: 215, अक्टूबर द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

एक दिन नया बोला पुराने से, 
अब गया तेरा ज़माना, 
तू तो हो गया पुराना, 
देख मुझे मैं कितना चमचमा रहा हूँ, 
हर किसी के दिल को मैं भा रहा हूँ, 
हर कोई मुझसे जुड़ना चाह रहा है, 
मुझसे नज़दीकियाँ अपनी बढ़ा रहा है, 

 
सुन कर नए की बातें पुराना मंद-मंद मुस्कुराया, 
बोला कुछ इस तरह से, 
कभी था मैं भी नया बिल्कुल तुम्हारी तरह, 
अकड़ बहुत थी शान बहुत थी, 
इतरा इतरा कर मैं चलता था, 
अपने आगे नहीं किसी को कुछ समझता था, 
थी मगर चाँदनी यह चार दिन की, 
आगे घोर अँधेरा था, 
आ गया ना जाने किधर से कोई नया, 
हो गया पुराना मैं उसी पल से
भाई मेरे . . . 
सुनो सुनो बात मेरी लगाकर तुम अपने कान, 
होगा इक दिन मेरे जैसा ही तुम्हारा हाल, 
जो आज पुराना है वह भी था कल तक नया, 
जो है आज नया वह हो जाएगा कल पुराना, 
भूले से भी यह फिर मत कहना, 
अब गया तेरा ज़माना, 
तू हो गया पुराना, 
एक दिन बोला पुराने से। 

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