मायका

मंजु आनंद (अंक: 206, जून प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

मायका बस मायका ही होता है, 
होता है वह घर माँ का, 
ना जाने कितनी यादें जुड़ी होती हैं, 
हर लड़की की अपने मायके से, 
जन्म लेकर मायके में ससुराल जाती हर लड़की, 
मायका कभी नहीं भूल पाती, 
दिल में हर पल याद अपने मायके की सँजोए रहती, 
कभी याद आ जाता उसे घर का आँगन, 
तो कभी याद आ जाते अपने सभी, 
देखती कभी अपना बचपन, 
अपनी जवानी अपना अल्हड़पन, 
सुनती कभी अपनी खिलखिलाती हँसी, 
सखियों की टोली संग मस्ती के दिन, 
ना ही कोई चिंता ना फ़िक्र कोई, 
सब कुछ याद कर भर लेती अपने नैना, 
फिर रच बस जाती अपनी नई ज़िन्दगी मैं, 
यादें मायके की लगाकर सीने से अपने, 
मीठे सपनों में खो जाती, 
मन ही मन कह उठती, 
मायका बस मायका ही होता है। 

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