अपनी कुछ किताबों में
मंजु आनंदअपनी कुछ किताबों में मैंने,
कुछ फूल छिपा रखे हैं,
दिल के थे बहुत क़रीब जो मेरे अपने,
यादों को उनकी सँजोकर रखा है इन फूलों में,
रखा है बड़ी हिफ़ाज़त से इन फूलों को मैंने,
कुछ मुरझा से गए हैं अब फूल मेरे,
महक भी न जाने कहाँ गुम हो गई इन फूलों की,
फिर भी रोज़ निकाल कर किताबों से अपनी,
महक इन फूलों की महसूस कर लेती हूँ,
यादें अपनो की फिर से ताज़ा कर लेती हूँ,
अपनी कुछ क़िताबों में मैंने।
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