प्रभात की सविता

01-11-2020

प्रभात की सविता

सुषमा दीक्षित शुक्ला  (अंक: 168, नवम्बर प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

गज गामिनि वह दर्प दामिनी,
कल कल करती सरिता।
निर्झरिणी सी झर झर झरती,
ज्यों कविवर की कविता।
 
कोमल किसलय कुमकुम जैसी,
कनक कामिनी वनिता।
कोकिल कंठी कमल आननी,
ज्यों प्रभात की सविता।
 
मृगनयनी वह मधुर भाषिणी,
पुष्पगुच्छ की लतिका।
कुंचित केश राशि सिर शोभित,
ज्यों कृष्ण नाग की मनिका

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
किशोर साहित्य कविता
स्मृति लेख
लघुकथा
हास्य-व्यंग्य कविता
दोहे
कविता-मुक्तक
गीत-नवगीत
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में