नवल वर्ष के आँगन पर 

01-01-2021

नवल वर्ष के आँगन पर 

सुषमा दीक्षित शुक्ला  (अंक: 172, जनवरी प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

दो हज़ार इक्कीस तुम आओ,
जग में नूतन ख़ुशियाँ लाकर।
 
परम पिता की सदा दुआ हो,
उनकी  सुंदर  बगिया  पर।
 
दो ख़ुशियों की शुभ सौग़ातें ,
सुख के  सुंदर दीप जलाकर।
 
दो हज़ार इक्कीस  तुम आओ ,
जग में नूतन ख़ुशियाँ लाकर।
 
खिलते रहें गुलाब सदा ही ,
साँसों की अगणित शाखों पर।
 
सुंदर अभिलाषाएँ पूरी हों ,
नित नवल वर्ष की राहों पर।
 
आँधी बनकर ख़ुशबू बिखरे ,
भारत माता के  दामन पर।
 
सपनों की नइया तट पहुँचे ,
नित नवल वर्ष के आँगन पर।
 
दो हज़ार इक्कीस तुम आओ ,
जग में नूतन ख़ुशियाँ लाकर।
 
परमपिता की सदा  दुआ हो ,
उनकी सुंदर बगिया पर।

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
किशोर साहित्य कविता
स्मृति लेख
लघुकथा
हास्य-व्यंग्य कविता
दोहे
कविता-मुक्तक
गीत-नवगीत
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में