जीवन और साहित्य 

01-11-2020

जीवन और साहित्य 

सुषमा दीक्षित शुक्ला  (अंक: 168, नवम्बर प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

सत्य कहा किसी ने मित्रो,
साहित्य समाज का दर्पण है।
  
सत्य मिथ्या का भेद बताये,
इस हित  जीवन अर्पण है।
  
मातु शारदे के चरणों से 
इसका मित्रो उद्गम है। 
  
पथ भटकों को राह दिखाये,
इसमें  जीवन  दर्शन है।
  
लिखा हुआ इतिहास इसी में,
इसमें विज्ञान है सारा।
   
इसमें सबकुछ पढ़ सकते हो,
भूत भविष्य तुम्हारा।
  
माँ वाणी का आँचल है ये,
ब्रह्मा जी का है वरदान।
  
विद्या का  आवाह्न इसी में 
इसमें सारे वेद पुराण।

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