पुस्तकबाज़ार.कॉम आपके लिए
सुमन कुमार घईप्रिय मित्रो,
पुस्तक बाज़ार.कॉम लगभग बन चुका है और डिवेलेपमेंट सर्वर से हट कर "होस्टिंग" स्थल पर पहुँच चुका है। अंतिम टैस्टिंग की प्रक्रिया चल रही है। स्मार्ट फोन की ऐप्प भी बन कर लगभग तैयार है – यानी किसी भी दिन कहा जा सकता है कि पुस्तक बाज़ार व्यवसाय के लिए खुला है। जैसा कि साहित्य कुंज के मुख्य पृष्ठ पर भी निवेदन किया है कि भावी लेखकों से आग्रह है कि वह pustakbazar.com जाकर रजिस्टर हो जाएँ। उसके बाद अपने यूज़र नेम और पासवर्ड से लॉग इन होकर My account में जाएँ। व्यक्तिगत जानकारी भरने के बाद नीचे दिए Author के बॉक्स को चेक कर दें। मैं उन्हें बैकग्राऊँड में Author होने की अनुमति दे दूँगा और लेखक/लेखिका को ई-मेल द्वारा सूचित भी कर दूँगा। अब अगली बार जब आप लॉग इन होकर आप My Account में जाएँगे तो इस बार Author का आपका व्यक्तिगत एकाउंट का पृष्ठ खुलेगा। इसमें आप अपनी पुस्तकों की बिक्री की जानकारी देख सकते हैं और यहीं से आप अपनी पुस्तकें भी प्रकाशन के लिए भेज सकते हैं।
पिछले चार वर्षों से इन्हीं दिनों का स्वप्न देख रहा था जो कि अब साकार हो रहा है। मन में एक उत्कंठा सदा से रही है कि हिन्दी का लेखक किसी तरह से अपनी कला से कुछ कमा सके। इसी उद्देश्य को लेकर इस दिशा की ओर बढ़ा था। अगर मन में सच्चाई हो तो साथी मिल ही जाते हैं। इसी तरह इस यात्रा के साथी मिले 21gfox.ca के मालिक स्टैनले परेरा जिन्होंने भारत में स्थित अपनी पूरी टीम को मेरे सुपुर्द कर दिया। जब मैं उनकी आँखों में पुस्तक बाज़ार.कॉम के नाम से आती चमक को देखता हूँ तो सोचता हूँ कि यह व्यक्ति का तो हिन्दी साहित्य के साथ कुछ लेना-देना भी नहीं है तो फिर इसके प्रति यह समर्पण क्यों? कई बार वह कह उठते हैं "सुमन जी, हम लोग कुछ ऐसा कर रहे हैं जो अपने-आप में अनूठा है"। बात उनकी सही है, हिन्दी की ई-बुक की अन्य साईट्स भी हैं परन्तु वह किसी अंग्रेज़ी की ई-बुक की साईट के सामने ठहरती नहीं है। एमाज़ॉन.कॉम में हिन्दी पुस्तकें हैं तो सहीं परन्तु मुख्य पृष्ठ तो अंग्रेज़ी को ही मिलता है। दूसरा वहाँ पुस्तकों के प्रकाशन की कोई चयन प्रक्रिया या संपादन नहीं है। इसलिए जो पुस्तकें वहाँ पर देखने को मिलती हैं – उनके बारे में मेरा कुछ भी कहना उचित नहीं होगा। पुस्तक बाज़ार.कॉम के बारे में इसलिए आशावान हूँ कि अगर साहित्य का अंश मेरे हाथ मे है तो सॉफ़्टवेयर स्टैनले परेरा के हाथ में। हमें गुणवत्ता के मामले में किसी से कोई समझौता करने की आवश्यकता नहीं है।
इस उपक्रम को सफल बनाना अब आपके हाथ में है। क्योंकि किसी भी प्रकाशन संस्थान को उसके परिचालक उन्नति के शिखर पर नहीं लेकर जाते बल्कि वह लेखक उसे शिखर पर पहुँचाते हैं जो उस संस्थान के साथ जुड़ते हैं। वह पाठक बनाते हैं जो उनकी प्रकाशित पुस्तकें खरीदते हैं। पुस्तक बाज़ार की नीति के अनुसार लेखक को बिक्री का ७०% भाग मिलेगा। लेखक किसी भी समय अपने एकाउंट के पन्ने पर यह जानकारी देख सकता है – यानी एकाउंटिंग पारदर्शी है। इसे एक स्तर ऊपर ले जाते हुए प्रोग्रामिंग में इस पन्ने को "uneditable" बनाया गया है। यानी इसे अगर चाहूँ तो मैं भी संपादित नहीं कर सकता है लेखक की तो बात ही अलग है।
आप सभी लोगों से निवेदन है कि आप pustakbazar.com पर जाएँ और इसे अच्छी तरह से देखें-परखें और फिर इंटरनेट पर Hindi eBooks की सर्च करें और अन्य साईट्स के साथ इसकी तुलना करें। फिर बताएँ कि जो भी मैंने अभी तक कहा- वह सही है कि नहीं? अगर कहीं कोई कमी दीखती तो कृपया info@pustakbazar.com पर लिख भेजें। इस कमी को दूर करने का हर संभव प्रयास किया जाएगा।
आशा है कि एक सप्ताह में पुस्तकें भी बिक्री के लिए तैयार हो जाएँगी। यह पुस्तकें आप पीसी (अपने टेबल टॉप, लैप टॉप) पर या एंड्रॉयट टैबलेट और स्मार्ट फोन पर पढ सकते हैं, अपनी लाईब्रेरी में सेव कर सकते हैं। टैबलेट और स्मार्ट फोन के लिए ऐप्प शीघ्र ही गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध हो जाएगी। पीसी के लिए http://sony-reader-for-pc.en.lo4d.com/ से सोनी का ई-रीडर निःशुल्क डाउनलोड कर सकते हैं। अन्य निःशुल्क ई-रीडर्स की तुलना में मुझे यह सबसे अधिक अच्छा लगा।
पुस्तक बाज़ार.कॉम के बारे में आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
– सादर
सुमन कुमार घई
0 टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
- रचना समीक्षा
- कहानी
- कविता
- साहित्यिक आलेख
- पुस्तक समीक्षा
- पुस्तक चर्चा
- किशोर साहित्य कविता
- सम्पादकीय
-
- लघुकथा की त्रासदी
- अंक प्रकाशन में विलम्ब क्यों होता है?
- आवश्यकता है युवा साहित्य की
- उलझे से विचार
- एक शब्द – किसी अँचल में प्यार की अभिव्यक्ति तो किसी में गाली
- कितना मीठा है यह अहसास
- कैनेडा में सप्ताहांत की संस्कृति
- कैनेडा में हिन्दी साहित्य के प्रति आशा की फूटती किरण
- चिंता का विषय - सम्मान और उपाधियाँ
- नए लेखकों का मार्गदर्शन : सम्पादक का धर्म
- नव वर्ष की लेखकीय संभावनाएँ, समस्याएँ और समाधान
- नींव के पत्थर
- पतझड़ में वर्षा इतनी निर्मम क्यों
- पुस्तकबाज़ार.कॉम आपके लिए
- प्रथम संपादकीय
- बेताल फिर पेड़ पर जा लटका
- भारतेत्तर साहित्य सृजन की चुनौतियाँ - उत्तरी अमेरिका के संदर्भ में
- भारतेत्तर साहित्य सृजन की चुनौतियाँ - दूध का जला...
- भाषण देने वालों को भाषण देने दें
- भाषा में शिष्टता
- मुख्यधारा से दूर होना वरदान
- मेरी जीवन यात्रा : तब से अब तक
- मेरी थकान
- मेरी प्राथमिकतायें
- विश्वग्राम और प्रवासी हिन्दी साहित्य
- श्रेष्ठ प्रवासी साहित्य का प्रकाशन
- सकारात्मक ऊर्जा का आह्वान
- सपना पूरा हुआ, पुस्तक बाज़ार.कॉम तैयार है
- साहित्य का व्यवसाय
- साहित्य कुंज को पुनर्जीवत करने का प्रयास
- साहित्य कुञ्ज एक बार फिर से पाक्षिक
- साहित्य कुञ्ज का आधुनिकीकरण
- साहित्य कुञ्ज में ’किशोर साहित्य’ और ’अपनी बात’ आरम्भ
- साहित्य को विमर्शों में उलझाती साहित्य सत्ता
- साहित्य प्रकाशन/प्रसारण के विभिन्न माध्यम
- स्वतंत्रता दिवस की बधाई!
- हिन्दी टाईपिंग रोमन या देवनागरी और वर्तनी
- हिन्दी भाषा और विदेशी शब्द
- हिन्दी लेखन का स्तर सुधारने का दायित्व
- हिन्दी वर्तनी मानकीकरण और हिन्दी व्याकरण
- हिन्दी व्याकरण और विराम चिह्न
- हिन्दी साहित्य की दशा इतनी भी बुरी नहीं है!
- हिन्दी साहित्य के पाठक कहाँ हैं?
- हिन्दी साहित्य के पाठक कहाँ हैं? भाग - २
- हिन्दी साहित्य के पाठक कहाँ हैं? भाग - ३
- हिन्दी साहित्य के पाठक कहाँ हैं? भाग - ४
- हिन्दी साहित्य सार्वभौमिक?
- हिन्दी साहित्य, बाज़ारवाद और पुस्तक बाज़ार.कॉम
- ग़ज़ल लेखन के बारे में
- फ़ेसबुक : एक सशक्त माध्यम या ’छुट्टा साँड़’
- विडियो
- ऑडियो
-