जीवित तुम!

01-07-2022

जीवित तुम!

सुमन कुमार घई (अंक: 208, जुलाई प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

(पिता की स्मृति में)

 

तुम्हारी निःशब्द प्रेरणा
अनहद नाद सा
गुंजित जीवन। 
 
तुम्हारी निश्छल मुस्कुराहट
खिला अंतर्मन
बन शाश्वत उपवन। 
 
तुम्हारी मौन आस्था
निर्धूम ज्योति  करे
प्रकाशित अंतर्तम मन। 
 
तो   . . . 
मृत्यु हो कैसे स्वीकृत? 
जीवित मैं तो जीवित तुम! 

3 टिप्पणियाँ

  • बहुत बढ़िया

  • 20 Jun, 2022 08:37 PM

    सत्य वचन । मृत्यु तो नश्वर शरीर का गुण हैं और हमारे माता-पिता हमारे संस्कारों में जीवित रहते हैं क्योंकि वे केवल हमारे शरीर के ही नहीं ,हमारे पूरे व्यक्तित्व के निर्माता हैं । बहुत भावपूर्ण ।

  • 20 Jun, 2022 09:37 AM

    भावपूर्ण, तार्किक,

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