मनोकामना 

01-10-2023

मनोकामना 

अनिमा दास (अंक: 238, अक्टूबर प्रथम, 2023 में प्रकाशित)


(सॉनेट) 
 
कृष्ण कुंतल, करंबित कवरी, कटि कमनीय 
सुरभित सुशीतल सलिला . . . सी संगीतमयी 
दिग्भ्रांत दिनकर मैं दंशित . . . दिवस दयनीय 
ओढ़! मृत मृदा से मृदुल मन को . . . मानमयी। 
 
बकुलवेणी का वननिर्झर, मैं व्याकुल बसंत 
मधुमालती की मधुमदिरा, तुम मेरी मधुमती 
मेनका मेघ की मोहिनी मुद्रा में मूर्त मयमंत 
अमावस्या अमा मैं, करो दीप्त मुझे, इंदुमती। 
 
अद्य अरण्य का मैं अव्यक्त अंजित अभीप्सा 
तुम शेष संध्या का स्वप्न-सिक्त सुमनित सुर 
प्रियतमा! प्रियंवदा, ह्रास करो प्रेमरस ईप्सा 
निविड़ निर्जन का नक्षत्र मैं, नित्य रहता आतुर। 
 
अश्रुपूर्ण अक्षि में दग्ध देह की मृदु मनोकामना 
तृषित न रहे तीर्ण तीर की भस्मीभूत भावना। 

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