भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान में विभाजन की त्रासदी पर राष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न

01-01-2024

भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान में विभाजन की त्रासदी पर राष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न

डॉ. मनीष कुमार मिश्रा (अंक: 244, जनवरी प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

मंगलवार दिनांक 28 नवंबर 2023 को भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी की शुरूआत हुई। संगोष्ठी का मुख्य विषय “भारत विभाजन की त्रासदी और भारतीय भाषाओं का साहित्य” है। इस संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकाश परिषद के निदेशक प्रो. रविप्रकाश टेकचंदानी, संस्थान के नेशनल फ़ैलो प्रो. हरपाल सिंह और बीज वक्ता के रूप में व्यंक्तेश्वर कॉलेज, नई दिल्ली से प्रो. निर्मल कुमार उपस्थित थे। 

मान्यवर अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित करके इस संगोष्ठी की शुरूआत हुई। संगोष्ठी के संयोजक डॉ. मनीष कुमार मिश्रा ने स्वागत भाषण के साथ संगोष्ठी के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। दिल्ली के व्यंक्तेश्वर कॉलेज में इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रो. निर्मल कुमार ने विभाजन और सिनेमा के परिप्रेक्ष्य में अपना सारगर्भित वक्तव्य दिया। प्रो. हरपाल सिंह ने विभाजन की त्रासदी को लेकर अपने विचार साझा किए। प्रो. रवि टेकचंदानी ने सिंधी साहित्य और समाज के परिप्रेक्ष्य में बड़ा मार्मिक वक्तव्य प्रस्तुत किया। इस अवसर पर उन्होंने विभाजन पर प्रकाशित अपनी पुस्तक की प्रति भी संस्थान के सचिव श्री नेगी जी को भेंट की। संस्था के निदेशक प्रो. नागेश्वर राव जी ऑनलाईन माध्यम से कार्यक्रम से जुड़े और सभी आए हुए अतिथियों के प्रति आभार ज्ञापित किया। अंत में संस्थान के सचिव श्री नेगी जी ने आभार ज्ञापन की ज़िम्मेदारी पूरी की। इस सत्र का कुशल संचालन श्री प्रेमचंद जी ने किया। राष्ट्रगान के साथ यह उद्घाटन सत्र समाप्त हुआ। 

उद्घाटन सत्र के अतिरिक्त पहले दिन तीन चर्चा सत्र संपन्न हुए जिनमें देश भर से जुड़े 10 विद्वानों ने अपने प्रपत्र प्रस्तुत किए। इन तीनों सत्रों की अध्यक्षता क्रमशः प्रो. आलोक गुप्ता (फ़ैलो, भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला), प्रो. निर्मल कुमार (व्यंकटेश्वर कॉलेज, नई दिल्ली में इतिहास विभाग के अध्यक्ष) और प्रो. रविंदर सिंह जी (फ़ैलो, भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला) ने किया। संगोष्ठी के दूसरे दिन कुल चार चर्चा सत्र संपन्न हुए जिनकी अध्यक्षता क्रमशः प्रोफ़ेसर महेश चंपकलाल (टैगोर फ़ैलो, भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला), प्रोफ़ेसर नंदजी राय (फ़ैलो, भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला), प्रोफ़ेसर हरपाल सिंह (नेशनल फ़ैलो, भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला) और प्रोफ़ेसर हरि मोहन बुधोलिया जी ने किया। दूसरे दिन कुल 13 प्रपत्र वाचकों ने अपने प्रपत्र प्रस्तुत किए। 

समापन सत्र की अध्यक्षता भी प्रोफ़ेसर हरि मोहन बुधोलिया जी ने की। इस अवसर पर संस्थान के अकडेमिक रिसोर्स ऑफ़िसर श्री प्रेमचंद जी भी उपस्थित थे। संगोष्ठी के संयोजक डॉ. मनीष कुमार मिश्रा ने दो दिवसीय संगोष्ठी की रिपोर्ट प्रस्तुत की। वरिष्ठ एसोशिएट श्री अयूब ख़ान जी ने संगोष्ठी पर अपना मंतव्य व्यक्त किया। श्री प्रेमचंद ने संस्थान की गतिविधियों की जानकारी देते हुए इस संगोष्ठी में प्रस्तुत सभी आलेखों को पुस्तक के रूप में प्रकाशित करने की बात कही। अध्यक्षी भाषण में प्रोफ़ेसर हरि मोहन बुधोलिया जी ने सुंदर आयोजन की तारीफ़ की। अंत में संयोजक के रूप में डॉ. मनीष कुमार मिश्रा ने सभी के प्रति आभार ज्ञापित करते हुए, अध्यक्ष की अनुमति से संगोष्ठी समाप्ति की घोषणा की। इस तरह दो दिन की संगोष्ठी बड़े सुखद वातावरण में संपन्न हुई। 

डॉ. मनीष कुमार मिश्रा

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