पिता होता है
नरेंद्र श्रीवास्तवपिता होता है
समुद्र-सा
शांत . . . गंभीर
सहनशील
पिता होता है
बरगद-सा
जिसकी
घनी छाँव में
परिवार
पाता है शीतलता
सुख-सुकून
पिता होता है
आकाश-सा
जिसके नीलेपन में
छुपा होता है, मौन
सूरज जैसी तपन में
होती है ललक
परिवार के लिए
सुख के उजाले में
ले जाने की
चंद्रमा-सी
होती है चमक
समृद्धि की
पिता होता है
उपवन-सा
जिसमें खिलते हैं
पुष्प
कामयाबी के
पिता होता है
कारखाने की मशीन के
कलपुर्जे-सा
चलता रहता है
घिसता रहता है
पिता होता है
मंदिर के कलश-सा
जो बढ़ाता है शोभा
और
एहसास कराता है
दूर से ही
मंदिर होने का
ये सब तो
है ही,
पिता
असल में
पिता होता है,
हौसला . . . हिम्मत . . .
सुरक्षा कवच
बच्चों के
भविष्य का
बच्चे के
पिता बनने तक की
यात्रा का!
0 टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
- कविता
- लघुकथा
- गीत-नवगीत
-
- अपने वो पास नहीं हैं
- एहसास नहीं . . .
- कोरोना का दंश
- चहुँ ओर . . .
- चाहत की तक़दीर निराली
- तुझ बिन . . .
- तेरे अपनेपन ने
- धूल-धूसरित दुर्गम पथ ये . . .
- प्यार हुआ है
- प्रीत कहे ये . . .
- फागुन की अगवानी में
- फिज़ा प्यार की
- शिकवा है जग वालों से
- सच पूछो तनहाई है
- साथ तुम्हारा . . .
- साथ निभाकर . . .
- सावन का आया मौसम . . .
- सोलह शृंगार
- बाल साहित्य कविता
-
- एक का पहाड़ा
- घोंसला प्रतियोगिता
- चंदा तुम प्यारे लगते
- चिड़िया और गिलहरी
- चूहा
- जग में नाम कमाओ
- टीचर जी
- डिब्बे-डिब्बे जुड़ी है रेल
- देश हमारा . . .
- परीक्षा कोई भूत नहीं है
- पुत्र की जिज्ञासा
- पौधा ज़रूर लगाना
- फूल और तोता
- बारहामासी
- भालू जी की शाला
- मच्छर
- मुझ पर आई आफ़त
- ये मैंने रुपये जोड़े
- वंदना
- संकल्प
- स्वर की महिमा
- हरे-पीले पपीते
- हल निकलेगा कैसे
- ज़िद्दी बबलू
- हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
- किशोर साहित्य कविता
- कविता - हाइकु
- किशोर साहित्य आलेख
- बाल साहित्य आलेख
- काम की बात
- किशोर साहित्य लघुकथा
- हास्य-व्यंग्य कविता
- विडियो
-
- ऑडियो
-