पुत्र की जिज्ञासा

15-03-2020

पुत्र की जिज्ञासा

नरेंद्र श्रीवास्तव (अंक: 152, मार्च द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)

पिता-पुत्र बैठे बैंच पर
थे सोच रहे क्या जाने?
तभी पुत्र ने प्रश्न किया 
सुन, पिता लगे मुस्काने॥


पूछ रहा था पुत्र प्रश्न ये
पापा, ये मुझे समझाओ।
बात जान लेते मन की 
जो जादू है सिखलाओ॥


कुछ नहीं है जादू इसमें
पिता ने हँस समझाया।
मैं बेटा, तेरे दादा का 
ये अनुभव से है आया॥

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