इन रास्तों का अकेलापन

01-04-2015

इन रास्तों का अकेलापन

डॉ. मनीष कुमार मिश्रा

इन बर्फ़ीली सर्द वादियों में
आज अकेले ख़ामोश से रस्तों पे
बहुत दूर तक चलता रहा



इन रास्तों का अकेलापन
बिलकुल मेरे अकेलेपन जैसा है
धुँधलके और इंतज़ार से भरा हुआ



बर्फ बेबसी की है
धुँधलका अनिश्चितता का
और रास्ता सिर्फ उम्मीद का



मैं और ये रास्ते
किसी के इंतज़ार में हैं
हमें किसी का इंतज़ार है।

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