याद हूँ मैं

15-10-2022

याद हूँ मैं

चेतना सिंह ‘चितेरी’ (अंक: 215, अक्टूबर द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

तुम भूल गए हो या याद हूंँ मैं
अपनी धुन में खोए हुए रहते हो, 
मन में आस लिए, तेरी राह में, 
पलकें बिछाए बैठी रहती हूँ ‌। 
 
कहीं खो गई हूंँ या याद हूंँ मैं
तुम्हारे दिल की बात, अब मुझ तक नहीं पहुंँचती, 
न फोन, न मैसेज, इंटरनेट के दौर में भी, 
हम बेगाने से लगते हैं, 
बीते पल को याद करके दिल से लगा कर बैठी हूंँ। 
 
तुम भूल गए हो या याद हूंँ मैं
आपाधापी में रहते हो, 
खाई थी हमने क़समें, जीवन के सफ़र में साथ मिलकर चलेंगे, 
टूटी हुई यादों के सहारे, आज भी 
ज़िंदा हूंँ मैं 
तुम भूल गए हो या याद हूंँ मैं

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