सरगम
चेतना सिंह ‘चितेरी’तेरे प्यार में सजना, तेरी सजनी संँवर रही
तेरे प्यार में सजना, तेरी सजनी संँवर रही
सात स्वरों से सजा है संगीत,
सात फेरों से सजा है जीवन,
सात जन्मों तक मिलें सजना तेरा प्यार
तेरे प्यार में सजना, तेरी सजनी सज रही,
तेरे प्यार में सजना तेरी सजनी संँवर रही
तेरे प्यार में सजना, तेरी सजनी संँवर रही
तेरे प्रेम के धुन में, घर आँगन चहके,
खिल रही मेरी फुलवारी, तेरे रंग में रंग कर,
सजना झूम-झूम कर मेरा मनवा नाचे,
तेरे प्यार में सजना, तेरी सजनी संँवर रही
तेरे प्यार में सजना, तेरी सजनी संँवर रही
मिला जो तेरा साथ साजन,
जीवन हुआ मेरा सरगम जैसा,
ना ग़म की परछाईं, चारों और ख़ुशियांँ ही छाई,
चंदन जैसा; सुगंधित पवित्र हुआ हमारा बंधन,
सजना तेरे प्यार में, तेरी सजनी निखर रही,
सजना तेरे प्यार में तेरी सजनी संँवर रही
तेरे प्यार में सजना, तेरी सजनी संँवर रही
0 टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
- कहानी
- कविता
-
- अभी कमाने की तुम्हारी उम्र नहीं
- अमराई
- आशीर्वाद
- कुछ तो दिन शेष हैं
- कैसी है मेरी मजबूरी
- कैसे कहूंँ अलविदा–2024
- कौशल्या-दशरथ नंदन रघुनंदन का अभिनंदन
- घर है तुम्हारा
- चाँद जैसा प्रियतम
- जन-जन के राम सबके राम
- ज़िंदगी की रफ़्तार
- जीवन मेरा वसन्त
- दीपाली
- नूतन वर्ष
- पिता
- प्रसन्न
- बहे जब जब पुरवइया हो
- मछली
- महोत्सव
- मांँ
- मेरी कहानी के सभी किरदार स्वावलंबी हैं
- मेरी बात अधूरी रह गई
- मेरी ख़ुशियांँ, मेरे घर में
- मैं चेतना हूँ
- मोहब्बत की दास्तान
- याद हूँ मैं
- वक़्त
- शतरंज की चाल
- शिक्षा से ही ग़रीबी दूर होगी
- शून्य
- संघर्ष में आनंद छुपा है,/उसे ढूंँढ़ लेना तुम!
- सरगम
- हम अपनों के बिन अधूरे हैं
- हे संध्या रुको!
- स्मृति लेख
- चिन्तन
- किशोर साहित्य कविता
- आप-बीती
- विडियो
-
- ऑडियो
-