अमराई

चेतना सिंह ‘चितेरी’ (अंक: 230, जून प्रथम, 2023 में प्रकाशित)


(भोजपुरी कविता)
 
चलो! रे ले चल भाई
मास जेठ की तपिश झुलसाई
बागों में ले चल चारपाई
बैठ गीत गुनगाई, बहे न पुरवाई
ललचे जिया मोरा देख अमराई
चलो री चल सखी, चलो रे माई।
 
आज गुल्ली-डंडा खेल खूब होई रे 
सिलो-पाती में डंडी दूर फेंकल जाई रे 
सब मिल कान्हा के छकाई
गुड़ खाकर खूब पिवाई होई रे ताई
फिर आम तोड़के नमक लगाई
होए खूब खवाई रे 
चलो री बहनी, चलो रे भौजी
आज बहुते आनंद आई 

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