शिक्षा से ही ग़रीबी दूर होगी

01-01-2023

शिक्षा से ही ग़रीबी दूर होगी

चेतना सिंह ‘चितेरी’ (अंक: 220, जनवरी प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

बाबूजी! कहांँ चलना है? 
आ जाइए! मेरे रिक्शे में बैठिए! 
आप घबराइए नहीं मैं आराम से चलूंँगा, 
मुझे कहीं गड्ढा या ब्रेकर मिलेगा 
मैं रिक्शा की गति धीरे कर लूँगा। 
 
अम्मा आओ! 
पहले बैग हमको थमा कर 
आराम से रिक्शे पर बैठ जाओ, 
फिर सुरक्षित अपना समान पकड़ो, 
अम्मा! 
हम भी दो पैसे कमा लें। 
 
इतने में, बाबूजी ने कहा—
बेटा! तुम पढ़े-लिखे लग रहे हो। 
 
रिक्शावाले ने कहा—
बाबूजी! 
मेरा भी है परिवार, 
पढ़ लिख कर मेहनत करता हूँ‌, 
देश दुनिया की ख़बर
मैं भी रखता हूँ, 
जब मिलती नहीं सवारी, 
इधर-उधर दौड़ कर, थक हार
एक घूँट पानी पीकर पसीना सुखाता हूँ, 
फिर थोड़ी देर सोचता हूँ, क्या करूँ? 
रिक्शे के बॉक्स में से पेपर निकाल इसी रिक्शे पर
बैठ समाचार पत्र पढ़ता हूँ। 
 
बाबूजी! 
मैं भी आगे पढ़ना चाहता था, 
माता-पिता की मज़बूरी
देख, 
बीच राह में पढ़ाई छोड़नी पड़ी, 
 
अम्मा! बीच में ही पूछ पड़ी कितने बच्चे हैं? 
 
रिक्शावाले ने अम्मा से कहा—
एकमात्र मेरी बिटिया है 
इसी रिक्शे की कमाई से, 
मैं अपनी गुड़िया को बी.एड. करवा रहा हूँ, 
 
पास में ही, चेतना! 
संवाद सुन प्रकाश से कहा—
शिक्षा से ही ग़रीबी दूर होगी। 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
कहानी
स्मृति लेख
चिन्तन
किशोर साहित्य कविता
आप-बीती
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में