संघर्ष में आनंद छुपा है,/उसे ढूंँढ़ लेना तुम! 

01-12-2022

संघर्ष में आनंद छुपा है,/उसे ढूंँढ़ लेना तुम! 

चेतना सिंह ‘चितेरी’ (अंक: 218, दिसंबर प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

फूलों की तरह खिलना तुम! 
कांँटों के बीच में रहकर भी! 
ज़िंदगी में आगे बढ़ना, 
और जीवन को समझना, 
फूलों की तरह मुस्कुराना सीख लेना तुम! 
 
आता है उतार-चढ़ाव
पतझड़-वसन्त की तरह, 
घबराना नहीं तुम! 
फूलों की तरह मदमस्त लहराना तुम! 
 
तेज़ आंँधी में व बारिश की बूंँदों में भी! 
डगमगाना नहीं तुम! 
क्योंकि, 
संघर्ष में आनंद छुपा है, 
उसे ढूंँढ़ लेना तुम! 
फूलों की तरह जीना! तुम! 

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