कैसे कहूंँ अलविदा–2024
चेतना सिंह ‘चितेरी’
हे दिसंबर! कैसे कहूँ अलविदा –2024
जाते जाते कितनों के आंँखें कर गए नम
माना कि मेरे हिस्से में आई हैं खुशियांँ,
खुशियांँ भी मना न पाऊंँ जाने कितने को दे गए हो ग़म
हे दिसंबर! तुम्हें कैसे कहूंँ अलविदा–2024
भूल से भी ना भूलेगा मिटे से भी ना मिटेगा
ज़ख्म है कितना गहरा, बेख़बर हो गए हो
तुम क्या जानो! जाने कितनों की सांँसे थम गईं
हे दिसंबर! कैसे कहूंँ अलविदा–2024
कँपकँपाती काया के रूह से पूछो-
जाते जाते कितने को दर्द दे गए
सिलते सिलते जाने कितने की उँगलियांँ जम गईं
हे दिसंबर! कैसे कहूंँ अलविदा–2024
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