जीवन मेरा वसन्त
चेतना सिंह ‘चितेरी’
जीवन मेरा वसन्त
मस्त रहती हूँ अपनी दुनिया में,
हँसती हूँ हसाती हूँ औरों को गले लगाती हूँ
जीवन मेरा वसन्त।
कोयल की कूक, पपीहे की पीहू,
गीत गाती गुनगुनाती हूँ,
जीवन मेरा वसन्त।
भेदभाव दूर करती हूँ,
प्रेम की मादकता लिए साथ चलती हूँ
गुंजायमान् करती हूँ,
जन जीवन में चेतना का संचार करती हूँ,
जीवन मेरा वसन्त।
नवकोंपलों को प्रेरणा देती हूँ,
सीखती हूँ सिखाती हूँ,
औरों के जीवन में वसन्त आ जाए,
अथक प्रयास करती हूँ,
जीवन मेरा वसन्त।
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