नूतन वर्ष
चेतना सिंह ‘चितेरी’नई नवेली सुबह का स्वागत करती हूँ,
ख़ुशियों का अंबार लेकर आओ!
इस वर्ष उम्मीद करती हूँ।
महा शक्तियांँ जब टकराईं,
मन भयभीत हुआ,
मानव ने मानव का संहार किया,
बीते वर्ष की शुरूआत से
रूस यूक्रेन का युद्ध जारी,
इस वर्ष विराम हो, आशा करती हूँ।
पढ़-लिखकर सामर्थ्यवान हुए
जग को क्या संदेश दिए,
प्रभुता के लिए रक्त पिपासु हुए,
संवेदनशील बन कर आना, एक-दूजे को अपनाना,
संस्कार लेकर आना, सबको सीख देना,
गुणों से दुर्गुणों को दूर करना,
तुमसे अपेक्षा करती हूँ।
ख़ूबसूरत-सी दुनिया में
तुम्हारा स्वागत करती हूँ।
द्वार पर खड़ी चेतना प्रकाश,
हर्षोल्ल्लास के साथ नई नवेली सुबह संग,
नववर्ष तुम्हारा अभिनंदन करती हूँ।
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