तिनके का सहारा

01-05-2023

तिनके का सहारा

अविनाश ब्यौहार (अंक: 228, मई प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

डूबते को है
तिनके का सहारा
रात में उजास। 
जब ज़िक्र किया है
अंधकार का
दिन हो गया उदास॥
 
तीव्र हो आँधी तो
सब कुछ तहस-नहस करती। 
और धूप दरीचे से
बेबात बहस करती॥
 
आँसू को 
देखा जब-जब
सहम गया ठट्ठा-परिहास। 
 
छुपी हुई बादलों में है
जैसे हरियाली। 
झुरमुट और पेड़ों की
झोली बिल्कुल ख़ाली॥
 
है मुरझाया
पौधों सा लगता
ठीक यहाँ अहसास। 

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