किस में बूता है
अविनाश ब्यौहारआँधी को जो
मोड़ सके—
किस में बूता है।
दुनिया में
यदि है तो
चाँदी का जूता है॥
हैं नेकी के बदले में
काले कारनामे।
सुरंग में कई हाथ
जलती मशालें थामे॥
तम जीता है
रातों में—
लगा निपूता है।
मान लो दिन समय की
नब्ज़ पकड़ कर चलेगा।
कोई अपशकुन हो जाए तो
बहुत खलेगा॥
भोर में—
चिड़ियों का गीत
दिल को छूता है।
मीलों चलकर नदी का
सागर से मिलना है।
शिरीष है अवधूत सा
गर्मी में खिलना है॥
धूप चूमती—
मुँडेरों को
किरण प्रसूता है।