फ़ुज़ूल की बातें

01-11-2022

फ़ुज़ूल की बातें

अविनाश ब्यौहार (अंक: 216, नवम्बर प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

कुछ लोगों ने दूभर
कर दिया है जीना। 
 
सुबह-शाम
फ़ुज़ूल की बातें। 
नागफनी सी
लगतीं रातें॥
 
और बुराई का गरल
पड़ा मुझे पीना। 
 
विश्वासों का
टूटा शीशा। 
बाबू माँग
रहा है हींसा॥
 
ढल रही है काया
थी वो कभी हसीना। 

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