तारे खिले-खिले

15-06-2023

तारे खिले-खिले

अविनाश ब्यौहार (अंक: 231, जून द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

 

चाँद-चाँदनी 
औ गगन में
तारे खिले-खिले। 
 
अंबर औ धरती दूर
क्षितिज में मिलते हैं। 
झील में लहरों के
ज्यों दुपट्टे हिलते हैं॥
 
गाँवों से भी
हट्टे-कट्टे
दिखते हैं ज़िले। 
 
झुलस गई है जैसे
गर्मी में हरियाली। 
हुई नीरसता मिली
एक चाय की प्याली॥
 
जेठ मास में
धूप-छाँव के
पाँव छिले-छिले। 

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