सच को लगती आज गवाही
अविनाश ब्यौहारहिन्दी ग़ज़ल
फेलुन
22 22 22 22
सच को लगती आज गवाही
कोर्ट हुआ तो राज गवाही
और मरे पशुओं की देता
मांसाहारी बाज़ गवाही
इस सूबे के आक़ाओं की
देता केवल ताज गवाही
बारिश यदि घनघोर हुई तो
देती होगी गाज गवाही
आँखों में मीठे सपने हों
तो आँखों को नाज़ गवाही