पंचम स्वर में 

15-09-2022

पंचम स्वर में 

अविनाश ब्यौहार (अंक: 213, सितम्बर द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

सुनसान सड़क पर
ओढ़ लबादा
जाते हुए दिखा। 
 
अपराधों का
एक जंगल 
थरथराया। 
लोगों को
अपने वश में
करती माया॥
 
उत्कोच शहर का
कोतवाल ज्यों
खाते हुए दिखा। 
 
दैत्याकार होती
कुंठाएँ—
यूँ लगा। 
प्रजातंत्र में
मनमानी ने
ख़ूब ठगा॥
 
कागा भी अब
पंचम स्वर में
गाते हुए दिखा। 

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