रुदन है तो हँसाना है

15-01-2023

रुदन है तो हँसाना है

अविनाश ब्यौहार (अंक: 221, जनवरी द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

1222      1222
 
रुदन है तो हँसाना है। 
उजाले को बसाना है॥
 
अगर मुख देख लो उनका, 
बहुत दिखता रिसाना है। 
 
ज़हालत दिख रही है जो, 
अमन का शर धँसाना है। 
 
मुहब्बत तो लगी ऐसे, 
हक़ीक़त क्या फ़साना है। 
 
ग़लत बातें नहीं होगी, 
तभी से वह खिसाना है। 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

गीत-नवगीत
कविता-मुक्तक
गीतिका
ग़ज़ल
दोहे
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में

लेखक की पुस्तकें