सम-नागरिकता
वेद भूषण त्रिपाठीराष्ट्रीय गौरव भारत महान
जय भारत जय संविधान।
अम्बेदकर संविधान-नायक
जन-जीवन समृद्धि परिचायक।
भारतीय संस्कृति महान
सद्भावी विचार महान।
मानवता को कुत्सित करना
मानव का सद्कर्म नहीं ।
मानवता को धूमिल करना
मानव का सद् धर्म नहीं ।
शुभता का संदेश न खोना
जन-जीवन सदभाव सजोना।
राष्ट्रीय सम्पत्ति के भक्षक
दुष्कर्मो के बनों न रक्षक।
मानव-जीवन दैवीय-वरदान
जन-जन का स्नेह अवदान।
सम-नागरिकता अधिकार
संविधान का न करो प्रतिकार।
सम-नागरिकता का प्रविधान
जन-जन का भारतीय संविधान।
रास्ट्रीय गौरव भारत महान
जय भारत जय संविधान।
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