माँ अन्नपूर्णा: अन्न वरदान

01-12-2021

माँ अन्नपूर्णा: अन्न वरदान

वेद भूषण त्रिपाठी (अंक: 194, दिसंबर प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

माँ अन्नपूर्णा का वरदान, 
क्षुधा-तृप्त हो हर इंसान। 
 
माँ की महिमा जग में न्यारी, 
स्वच्छ रसोई मंगलकारी। 
 
अन्न का सदा करें सम्मान, 
अन्न में बसते ईश महान। 
 
जन-जन में फैले सद्ज्ञान, 
नशा-मुक्त हो हर इंसान। 
 
सदा सात्विक भोजन पाएँ, 
धूम्र-पान मदिरा से दूरी बनाएँ। 
 
स्नहे भाव से भोजन पाएँ, 
जूठी थाली स्वच्छ बनाएँ। 
 
थाली में हाथ कभी न धोएँ, 
राहु-केतु की कृपा सजोएँ। 
 
थाली में जूठा कभी न छोड़ें, 
ईश-कृपा समृद्धि से जोड़ें। 
 
अन्न से जीवन वायु से प्राण, 
मानव-जीवन का परित्राण। 
 
मानव-जीवन सुमंगल पावन, 
शुद्ध सात्विक अन्न सुहावन। 
 
माँ अन्नपूर्णा का वरदान, 
क्षुधा-तृप्त हो हर इंसान। 
 
माँ की महिमा जग में न्यारी, 
स्वच्छ रसोई मंगलकारी। 

2 टिप्पणियाँ

  • माँ अन्नपूर्णा का वरदान कविता में लेखक ने ज्ञान युक्त मुद्दों को ज़िंदा किया है ।

  • 9 Jan, 2022 08:03 PM

    अति सुंदर, जनहितकारी कृति

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