पावन पुण्य सलिला सरयू
वेद भूषण त्रिपाठी
चलो री सखी सरयू जल भरि लाई!
पावन धाम अयोध्या नगरी
जन्में जहाँ रघुराई।
जग जननी जगदम्बा माता
जनक सुता कहाई।
चलो री सखी सरयू जल भरि लाई!
राम लक्ष्मण भारत शत्रुघ्न
चारों हैं सग भाई।
सीता के आराध्य राम
उर्मिला के लखन कहाई।
चलो री सखी सरयू जल भरि लाई!
भरत शत्रुघ्न की शक्ति हैं
मांडवी श्रुतिकीर्ति माई।
सीता के दो सुत प्यारे
लवकुश नाम कहाई।
चलो री सखी सरयू जल भरि लाई!
राजा जनक की मिथिला नगरी
दशरथ की अवध प्रभुताई।
जन्मभूमि श्रीराम की नगरी
अयोध्या धाम कहाई।
चलो री सखी सरयू जल भरि लाई!
जन-जन के आराध्य राम हैं
आराध्या सीता माई।
उत्तर दिशा में अविरल बहतीं
श्रीनेत्रजा सरयू माई।
चलो री सखी सरयू जल भरि लाई!
श्रद्धानत हो सरयू माँ के
जीवन धन्य बनाई।
सरयू माँ की कीर्ति न्यारी
जन-जन आशिष पाई।
चलो री सखी सरयू जल भरि लाई!
0 टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
- कविता
-
- अखण्ड भारत
- अमृत-जल
- अयोध्या धाम
- एक भारत श्रेष्ठ भारत
- गणतंत्र दिवस
- गति से प्रगति
- जल-महिमा
- तीर्थराज प्रयाग
- दीपोत्सव
- नमामि गंगे
- नव वर्ष
- नव-संवत्सर
- पावन पुण्य सलिला सरयू
- मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम
- माँ अन्नपूर्णा: अन्न वरदान
- मातृशक्ति
- मेरी माटी मेरा देश
- योग ॠषि
- रामलला की प्राणप्रतिष्ठा
- लोकतंत्र
- लोकतंत्र का महापर्व
- वन-महोत्सव
- शत-शत नमन!
- सजग बनो मतदाता
- सम-नागरिकता
- स्वातंत्र्योत्सव: हर घर तिरंगा
- हरेला पर्व
- हिंदी भारत माँ की बिंदी
- हिमालय संरक्षण दिवस
- किशोर साहित्य कविता
- विडियो
-
- ऑडियो
-