एक भारत श्रेष्ठ भारत
वेद भूषण त्रिपाठीसभी मनुष्य समान हों
सभी विचारवान हों।
मन चित्त समान हो
यज्ञ कार्य समान हो।
सत्कर्म समान हो
राष्ट्रीयता का मान हो।
ज्ञान-कर्म एक हो
भावनाएँ नेक हों।
मिल-जुल कर रहें
सतत् बढ़ते रहें।
समरूपता से रहें
निर्विघ्नता से रहें।
सत्वृत्तियों का संवर्धन हो
दुष्वृत्तियों का उन्मूलन हो।
सतत् लगे रहें सभी
कोई विघ्न न हो कभी।
आदि-शक्ति का मान हो
सहजता का ज्ञान हो।
श्रीसमृद्धि बढ़े सदा
हो शांति संपन्नता।
सभी मनुष्य समान हों
सभी विचारवान हों।
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गरिमामय चित्रण
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