नव वर्ष
वेद भूषण त्रिपाठीनववर्ष ख़ुशहाली लाए
जग में ज्योति जगाए।
शुभता का संदेश उदित कर
जन-जन तक फैलाए।
सत् चिंतन से परिपूरित हो
मानव मन हर्षाए।
सत्पथ का अनुगामी होकर
समरसता दिखलाए।
सुख समृद्धि यश वैभव पाकर
लब्ध प्रतिष्ठित हो जाए।
नववर्ष ख़ुशहाली लाए
जग में ज्योति जगाए।
सुभता का संदेश उदित कर
जन-जन तक फैलाए
0 टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
- कविता
-
- अखण्ड भारत
- अमृत-जल
- अयोध्या धाम
- एक भारत श्रेष्ठ भारत
- गणतंत्र दिवस
- गति से प्रगति
- जल-महिमा
- तीर्थराज प्रयाग
- दीपोत्सव
- नमामि गंगे
- नव वर्ष
- नव-संवत्सर
- पावन पुण्य सलिला सरयू
- मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम
- माँ अन्नपूर्णा: अन्न वरदान
- मातृशक्ति
- मेरी माटी मेरा देश
- योग ॠषि
- रामलला की प्राणप्रतिष्ठा
- लोकतंत्र
- लोकतंत्र का महापर्व
- वन-महोत्सव
- शत-शत नमन!
- सजग बनो मतदाता
- सम-नागरिकता
- स्वातंत्र्योत्सव: हर घर तिरंगा
- हरेला पर्व
- हिंदी भारत माँ की बिंदी
- हिमालय संरक्षण दिवस
- किशोर साहित्य कविता
- विडियो
-
- ऑडियो
-