जल-महिमा
वेद भूषण त्रिपाठी
पावन पूज्य सरस सलिलाएँ
सरस्वती के समान हैं।
दिव्य-देव, जल-देव वरुण का
करते सब गुणगान हैं।
सुसवा, सांग सरस सलिला का
सौंदर्यबोध कराना है।
वन्यजीव, जल संरक्षित कर
स्वर्णिम राष्ट्र बनाना है।
नदियों के पावन उद्गम का
वैश्विक मान बढ़ाना है।
बिंदाल, ऋषिपर्णा का पुनर्रोद्धार कर
जग को भान करना है।
जल को अमृत-तुल्य बनाकर
जल में जलज खिलाना है।
द्रोणभूमि की हृदयाँगिनी को
पावन पवित्र बनाना है।
पावन पूज्य सरस सलिलाएँ
सरस्वती के समान हैं।
दिव्य-देव जल-देव वरुण का
करते सब गुणगान हैं।
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