क्या चाँद को चेचक हुआ था?

क्या चाँद को चेचक हुआ था?  (रचनाकार - कुमार लव)

3. 

 

आज बादलों में छुपा है चाँद 
तुम्हारी बालकनी से दिखती है एक भीड़
घेरे खड़ी, शायद एक मंदिर को 
 
बारिश ने जाने कैसे 
एक टुकड़ा गूमालिंग का
विसर्जित कर
ढहा दी मंदिर की दीवारें। 
साँसों में भर गई धूल, 
दुर्गंध ताज़े गोबर की, 
और वीर्य की। 
घुटने लगा दम
मच गई भगदड़
कई जो बचे थे दीवार से 
कुचले गए पैरों तले 
अपने ही दोस्तों के 
हम-ख़यालों के। 

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