उल्लंघन
कुमार लव(सरदार भगत सिंह के जन्म दिन पर)
प्रोमेथ्यूज़* का कलेजा
हर रोज़ नोचती चील
सोचती होगी
कैसा मूर्ख है ये,
देवताओं से लड़ता है भला कोई!!
आज
हर तरफ़ खड़े ये देव
रोक रहें हैं तुम्हें,
वह पाने से
जो हैं परे तुम्हारे।
पर तुम
याद रखना,
पहली सीमा जो की थी पार,
गर्भ के तरल संसार
और इस
कठोर संसार के बीच की।
शुरूआत
एक उद्भेद की,
एक बदलाव की,
कई सीमाएँ लाँघने की
और
एक सीमा बनने की।
* प्रोमेथ्यूज़ (टाईटन-ग्रीक मिथालोजी) ने देवताओं से अग्नि चुरा कर मनुष्यों को दे दी। इस प्रगति की कामना के दण्ड स्वरूप उसे एक स्तम्भ से बाँध दिया गया और एक विशाल चील सदा के लिए उसके जिगर को नोंचती है। और उसका जिगर फिर से पैदा होता रहता है।
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