लोरी

कुमार लव (अंक: 236, सितम्बर प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

भारत के हर बेटे के 
उग आते हैं लंबे नाख़ून 
ख़ूब पैने होते हैं दाँत। 
 
मेरे देश की माँएँ 
अपना ख़ून छान-छान कर
पिलाती हैं दूध, बड़े प्यार से। 
 
सुनाती हैं 
शहद में भीगी 
मीठी-सी लोरी। 
 
कई बरसों बाद जब 
लौटता है बेटा, 
उतार कर धर देता है 
माँ के पैरों में 
हड्डियों से बना मुकुट, 
छूता है पाँव 
तेज़ रोशनी में—ठंडी रोशनी में—
हज़ारों नज़रों के बीच, 
तब याद आता है माँ को 
उस शहद-बुझी लोरी में छिपा 
शोकगीत—
उसके मिट जाने का संगीत। 

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