बुभुक्षा

23-05-2017

बुभुक्षा

कुमार लव

कभी कभी
जब पेट ठीक होता है,  
और ऐसा कम ही होता है,  
दुकान पर खड़ा हो,  
गटक गटक कर खाता हूँ।  
ऐसे अपने स्वास्थ्य का आनंद लेता हूँ।  
 
कौन सोचता बैठे
इस महापाप के लिए-
एक किलो मांस
बिना हड्डी और ख़ून का
अपने शरीर से
अपने ही हाथों
अलग करना होगा मुझे।  
वह भी
गटकने के बाद
चूहे, साँप और केंचुए
कीचड़ में रेंगते हुए।  

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