गंगाघाट पर पहलवानों को देख कर-1

01-08-2023

गंगाघाट पर पहलवानों को देख कर-1

कुमार लव (अंक: 234, अगस्त प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

एक सोई हुई सुबह
मटमैला सूरज उगा
डामर की सड़क पर। 
तवे सी गरम हो गई सड़क
पिघलने लगा डामर
पर किसी के पैर नहीं थे
उस सुबह सड़क पर। 
सड़क के किनारे
अकेला खड़ा था एक पेड़
सड़क के एक छोटे से टुकड़े को
ठंडा रखने की मेहनत करता। 
उस दोपहर बहुत तेज़ हवा चली
ईंट के रंग की आँधी
वह अकेला पेड़ ख़ूब झूमा
ज़ोर-ज़ोर से चीखे उसके पत्ते
पर किसी ने नहीं सुनी उसकी आवाज़
सब सोए हुए थे। 
इस शहर में 
लोग या तो अकेले सोते हैं
अपने अपने घरों में बंद, 
या ख़ूब चिल्लाते हैं, हर नियति से लड़ने को तैयार
और तब वे और भी अकेले होते हैं। 
 
(एक बार यों हुआ
एक सुपरहीरो अपने लोहे के सूट में
चला आया मेरे शहर
अन्याय से लड़ने। 
मेरे घर के सामने वाले मोड़ पर
वह पहुँचा ही था जब
एक वायरस ने शटडाउन कर दिया
उसका लोहे का सूट। 
पाँच दिन तक उस सूट में बंद
चिल्लाता रहा वह-ज़ोर ज़ोर से
फिर हमेशा के लिए हो गया शांत। 
आज उस पाँचवे दिन की सालगिरह है
आज उस सूट पर नई माला चढ़ी है) 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें