सच को लगती आज गवाही

01-01-2021

सच को लगती आज गवाही

अविनाश ब्यौहार (अंक: 172, जनवरी प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

हिन्दी ग़ज़ल
 
फेलुन
 
22 22 22 22
 
सच को लगती आज गवाही
कोर्ट हुआ तो राज गवाही
 
और मरे पशुओं की देता
मांसाहारी बाज़ गवाही
 
इस सूबे के आक़ाओं की
देता केवल ताज गवाही
 
बारिश यदि घनघोर हुई तो
देती होगी गाज गवाही
 
आँखों में मीठे सपने हों
तो आँखों को नाज़ गवाही

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