अयोध्या धाम के सरयू तट से
जन-जन का आहवान।
मंगल दीप जलाएं मिलकर
भारतीय संस्कृति महान।
स्नेह भाव से धरती माता
सुर्यदेव को पुकारें।
धवल प्रकाश से चन्द्रदेव
धरती की छवि सँवारें।
शुद्ध शांताकार दीपोत्सव
सृष्टि में है न्यारा।
उत्तर दिशा में अविरल
बहती सरयू की पावन धारा।
वसुंधरा की ख़ुशियों का
कोई मोल नहीं।
सूर्य चन्द्र के दिव्य प्रकाश का
कोई जोड़ नहीं।
सतरंगी परिधान से बिम्बित
वसुंधरा की छवि न्यारी।
भारतीय संस्कृति की संवाहिका
जन्म भूमि अति प्यारी।
आओ जन-जन स्नेह भाव से
मंगल दीप जलाएँ।
शुभता का संदेश उदित कर
जन-जन तक फैलाएँ।
सरयू माँ के शुभाशीष से
जीवन धन्य बनाएँ।
धन्य अवध की पावन भूमि
धन्य अयोध्या धाम।
धन्य महालक्ष्मी माता सीता
धन्य महाप्रभु राम।
महारुद्र के हृदय में बसते
त्रिपुरारी श्री राम।