हिंदी दिवस

15-01-2023

हिंदी दिवस

डॉ. ममता पंत (अंक: 221, जनवरी द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

हिंदी
लहरा रही परचम
विश्व भर में
पर घर के 
किसी एक कोने में
आज भी दुबकी
सिसक रही
विवश है जीने को
दोहरा जीवन
जैसे जीती है 
एक स्त्री
किया जाता है महिमामंडन
“यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता”
लेकिन मिला है उसे भी 
घर का मलिन कोना ही
मार दी जाती है गर्भ में
बच गयी तो 
होती है विकृत चक्षुओं का शिकार
वे पूजी भी जाती है
“नवरात्रों में”
वैसे ही जैसे
सितंबर में
पूजी जाती है हिंदी
पखवाड़ों में
वे करती है निरंतर संघर्ष
आत्मरक्षा
अस्मिता
औ'अस्तित्व हेतु
जो जारी है अद्यतन . . .। 
 
एक देश एक भाषा का सवाल? 
हल न कर पाए हम
जबकि हिंदी
करती चली है आत्मसात सब
जैसे करती हैं नदियाँ
औ' बहती हैं निरंतर अपनी रौ में
वैसे ही
बह रही हिंदी
विश्व में
उसकी ताक़त 
मान रही दुनिया
पर अपने ही घर में
आज भी उपेक्षित
मिला नहीं सम्मान! 
जिसकी अधिकारिणी थी।

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