गणतंत्र/ बसन्त कविता

01-02-2023

गणतंत्र/ बसन्त कविता

डॉ. शैलजा सक्सेना (अंक: 222, फरवरी प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

देश स्वतंत्र रहे/ संविधान यंत्र रहे/ मन में मंत्र रहे/ माँ देना ऐसा वर

गणतंत्र-बसन्त फूले/ जीवन मुदित झूले/ लौटे जो राह भूले/ माँ देना ऐसा वर

दारिद्र्य शीत भागे/ कर्म शक्ति बढ़े आगे/ समृद्धि भाग जागे/ माँ देना ऐसा वर

नीति का मार्ग चुनें, जागने का मंत्र सुनें/ सौहार्द स्वप्न बुनें/ माँ देना ऐसा वर

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