क्या तुमको भी ऐसा लगा
डॉ. शैलजा सक्सेनाकवि की मानसिकता पारदर्शी शीशे की तरह होती है। उसकी सारी भावनाएँ, संवेदनाएँ, धारणाएँ कुछ भी छिपते नहीं हैं बल्कि लेखन में उभर कर सामने आते हैं। डॉ. शैलजा सक्सेना की पुस्तक "क्या तुमको भी ऐसा लगा?" में आप पाएँगे कि शैलजा साधारण कवियत्री नहीं है। किसी भी समस्या के लिए भिन्न दृष्टिकोण या अनुभव की प्रतिक्रिया शैलजा की प्रकृति है। परन्तु डॉ. शैलजा की काव्य शैली और भाषा इतनी सहज है कि कविता पाठक के अंतस में उतर कर पाठक की अपनी हो जाती है।
पुस्तक पढ़ेंलेखक की कृतियाँ
- लघुकथा
- साहित्यिक आलेख
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- अंतिम अरण्य के बहाने निर्मल वर्मा के साहित्य पर एक दृष्टि
- अमृता प्रीतम: एक श्रद्धांजलि
- इसी बहाने से - 01 साहित्य की परिभाषा
- इसी बहाने से - 02 साहित्य का उद्देश्य - 1
- इसी बहाने से - 03 साहित्य का उद्देश्य - 2
- इसी बहाने से - 04 साहित्य का उद्देश्य - 3
- इसी बहाने से - 05 लिखने की सार्थकता और सार्थक लेखन
- इसी बहाने से - 06 भक्ति: उद्भव और विकास
- इसी बहाने से - 07 कविता, तुम क्या कहती हो!! - 1
- इसी बहाने से - 08 कविता, तू कहाँ-कहाँ रहती है? - 2
- इसी बहाने से - 09 भारतेतर देशों में हिन्दी - 3 (कनाडा में हिन्दी-1)
- इसी बहाने से - 10 हिन्दी साहित्य सृजन (कनाडा में हिन्दी-2)
- इसी बहाने से - 11 मेपल तले, कविता पले-1 (कनाडा में हिन्दी-3)
- इसी बहाने से - 12 मेपल तले, कविता पले-2 (कनाडा में हिन्दी-4)
- इसी बहाने से - 13 मेपल तले, कविता पले-4 समीक्षा (कनाडा में हिन्दी-5)
- कहत कबीर सुनो भई साधो
- जैनेन्द्र कुमार और हिन्दी साहित्य
- महादेवी की सूक्तियाँ
- साहित्य के अमर दीपस्तम्भ: श्री जयशंकर प्रसाद
- हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
- कविता
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- अतीत क्या हुआ व्यतीत?
- अनचाहे खेल
- अभी मत बोलो
- अहसास
- आसान नहीं होता पढ़ना भी
- इंतज़ार अच्छे पाठक का
- एक औसत रात : एक औसत दिन
- कठिन है माँ बनना
- कविता पाठ के बाद
- कोई बात
- कोरोना का पहरा हुआ है
- क्या भूली??
- गणतंत्र/ बसन्त कविता
- गाँठ में बाँध लाई थोड़ी सी कविता
- घड़ी और मैं
- जीवन
- जेठ की दोपहर
- तुम (डॉ. शैलजा सक्सेना)
- तुम्हारा दुख मेरा दुख
- तुम्हारे देश का मातम
- पेड़ (डॉ. शैलजा सक्सेना)
- प्रतीक्षा
- प्रश्न
- प्रेम गीत रचना
- बच्चा
- बच्चा पिटता है
- बच्चे की हँसी
- बोर हो रहे हो तुम!
- भरपूर
- भाषा की खोज
- भाषा मेरी माँ
- माँ
- मिलन
- मुक्तिबोध के नाम
- युद्ध
- युद्ध : दो विचार
- ये और वो
- लिखने तो दे....
- लौट कहाँ पाये हैं राम!
- वो झरना बनने की तैयारी में है
- वो तरक्क़ी पसंद है
- वो रोती नहीं अब
- शोक गीत
- सपनों की फसल
- समय की पोटली से
- साँस भर जी लो
- सात फेरे
- सूर्योदय
- स्त्री कविता क्या है
- हाँ, मैं स्त्री हूँ!!
- हिमपात
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- ग़लती (डॉ. शैलजा सक्सेना)
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