एक प्रश्न

15-09-2023

एक प्रश्न

भगवती सक्सेना गौड़ (अंक: 237, सितम्बर द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

 

हे ब्रह्मांड के रचयिता, 
आज लिखना चाहती हूँ, 
एक ख़त तुझे ही! 
मेंरे चिंतन विषय के एक प्रश्न का, 
क्या उत्तर है तेरे पास ?. . . 
बिल्कुल अज्ञानी बन उतरते हैं
तेरी धरती पर
फिर शब्द ज्ञान, अर्थ ज्ञान और
विस्तृत ज्ञान में अपने आप को लीन करते हैं! 
कोई चित्रकला में महारत 
विज्ञान में जेट युग भी लाता मनुष्य
शिक्षा में डॉक्टरेट गहन करता 
कोई लेखन में ही दुनिया उड़ेल देता! 
कोई धन सम्पत्ति के अंबार लगाते, 
रिश्तों की भी भीड़ सँजोते लोग, 
दिल की भावनाओं के अर्थ समझाते लोग! 
और सब कुछ अपने मन में जोड़ते हुए, 
गिनते हुए करोड़ों की गठरी बाँधते! 
अचानक एक दिन वही मज़बूत-सा मानव, 
मिट्टी में मिलने को मजबूर होता, 
जैसे
समुद्र किनारे मानव बालू के महल बना
ध्वस्त करता रहता! 
हे रचयिता, है कोई उत्तर
मेरे प्रश्नों का, 
तो मुझे अवश्य लिखना . . .। 
इंतज़ार में . . .!

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