अनोखा जन्मदिन

15-03-2024

अनोखा जन्मदिन

भगवती सक्सेना गौड़ (अंक: 249, मार्च द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

रमोला से पति अजय ने कहा, “सुनो, कल शाम को तैयार रहना, एक नए दोस्त शर्मा जी हैं, उन्होंने पत्नी की जन्मदिन पार्टी में बुलाया है।”

अजय जी भी रिटायर्ड हैं, रोज़ सुबह मॉर्निंग वॉक में लोगों से मिलना-जुलना होता रहता है। नियत समय पर अजय जी पास ही की सोसाइटी में पहुँच गए। फ़्लैट का फ़्लोर नंबर ढूँढ़ कर लिफ़्ट से उनके घर पर कॉल बेल बजायी। हॉल में कुछ जोड़े भी थे, बहुत सारे बच्चे भी जमा थे। संगीत बज रहा था, लोग स्टार्टर भी शुरू कर चुके थे। अजय और रमोला भी सबसे बातों में मशग़ूल थे। तभी शर्मा जी से पूछा, “बुलाइये भाई, जिनका बर्थडे है, वह कहाँ है?” 

तब शर्मा जी ने इशारा करके सबको एक कमरे में आने कहा। वहाँ एक बड़ा सा केक रखा था और बिस्तर पर मिसेज़ शर्मा आँख बंद किये पड़ी थीं। उनका हाथ धीरे से उठा कर उन्होंने केक काटने की कोशिश की और स्वयं ही केक काटा, बच्चो के साथ . . . हैप्पी बर्थडे टू यू . . . . . . गाना गाया। 

सब अचंभित हो देखते रहे। पर शर्मा जी बिल्कुल संयमित रह सबको केक खिला रहे थे, जन्मदिन पर ख़ुशी से गाने गाए जा रहे थे। 

रमोला से रहा नहीं गया पूछ बैठी, “भाभीजी, उठेंगी नहीं क्या, कुछ तबियत ख़राब है?” 

“आइये बाहर आइये, नाश्ता लीजिये, बताता हूँ।”

रूम में बाहर आते ही, रुमाल से मुँह ढक कर रो पड़े। 

बोले, “आज ख़ुशी का दिन है, हम नाचेंगे, गाएँगे। कल सुबह अजय जी को सब बताता हूँ।” 

पार्टी दो घंटे चलती रही, फिर सब अपने घरों को वापस आये। 

दूसरी सुबह जब अजय जी वॉक पर गए तो शर्मा जी उनके साथ गार्डन में बैठ गए। पहले ही उनके कंधे पर सिर रख कर रो पड़े। कुछ देर में उन्होंने बोलना शुरू किया— 

“मेरी राधिका बचपन की मेरी दोस्त थी, हम साथ खेले, फिर एक ही कॉलेज में पढ़े। दोनों इंजीनियर थे। दोनों के ही घरवाले हमारे इश्क़ से परिचित थे। शादी भी बड़े धूमधाम से हो गयी। जीवन के 60 वर्ष हमने बड़े ही शानदार तरीक़े से गुज़ारे। एक बेटा है, वह यूएस में कार्यरत है। शादी के बाद से ही हम वर्ष में चार सेलिब्रेशन ज़रूर करते थे, दोनों का जन्मदिन, विवाह सालगिरह और बेटे का जन्मदिन, केक कटता था, पार्टी होती थी। हमने प्रण किया था, जब तक जीवित रहेंगे, हम करते रहेंगे। 

“बेटे ने बेंगलुरु के फ़्लैट में रहने का आग्रह किया, साल में दो बार हमसे मिलने अवश्य आता है। क़रीबन दो वर्ष पहले एक एक्सीडेंट में राधिका कोमा में चली गयी, उसकी तीमारदारी के लिए नर्स रखी है। मेरे आँसू अब बिना इजाज़त आँखों से निकल आते हैं। पर जब तक मुझमे प्राण है, और राधिका की अंतिम साँस तक अपने मोहब्बत के सम्मान में मैं ऐसी पार्टियाँ करता रहूँगा। कभी कभी महसूस होता है, वह सब देख रही है।” 

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