बर्थडे विशेज़
भगवती सक्सेना गौड़
नीरा का आज पचासवाँ जन्मदिन था, रात से ही वो मोबाइल में व्यस्त थी। हो भी क्यों ना, फ़ेसबुक में और व्हाट्सएप्प में ढेरों दोस्त बना रखे थे। सब दोस्तों के बधाई के मैसेज पढ़कर ख़ुशी से फूली नहीं समा रही थी। किसी-किसी को उसी समय रिप्लाई करने में भी व्यस्त थी।
तभी बाहर से उसके पतिदेव नमन आये, “कहाँ हो, बढ़िया गर्म जलेबी समोसे लाया हूँ, चाय बना लाओ, क्या यार तुम अभी भी मोबाइल में घुसी हो, ब्रश भी नहींं किया, 10 बजने वाले हैं।”
“बस अभी आयी, क्या करूँ इतने ढेरों मैसेज हैं, तुम समझते नहीं, लोग मुझे कितना चाहते हैं, तुम तो अपना एकाउंट डिलीट कर चुके।”
“सही कहा, तुमने ये आभासी दुनिया मायावी बनते जा रही है, कई लोग व्हाट्सएप्प में लिखना भी ठीक से नहीं जानते, सब फ़ॉरवर्ड या कॉपी पेस्ट करते हैं, ध्यान दोगी तो मालूम पड़ेगा, बधाइयाँ भी कॉपी पेस्ट वाली ज़्यादा हैं। एक बात बताऊँ, अगर ये सब चीज़ों का आविष्कार पचास वर्ष पहले हो जाता, तो सब कॉपी पेस्ट करके डिग्री भी ले लेते।”
“अच्छा जी, अब बस भी करो, एक बात बोलूँ, झूठी ही सही, ख़ुशी तो मिलती है। याद है, शादी के शुरू में तुम वो गाना गाते थे, ‘पल भर के लिए कोई मुझे प्यार कर ले, झूठा ही सही’, वही समझ लो, बधाई तो देते हैं लोग, चाहे कॉपी क्यों न करे, एक दिन के लिए मैं स्वयं को सेलिब्रिटी समझ लेती हूँ।”
“ओके, अब आ जाओ मेरी सेलिब्रिटी, समोसा भी तुम्हें बधाई देने को तरस रहा।”