आधुनिक ट्रिक 

01-04-2023

आधुनिक ट्रिक 

भगवती सक्सेना गौड़ (अंक: 226, अप्रैल प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

दास बाबू रिटायर हुए, एक उम्र बीत गयी, ऑफ़िस में हुकुम चलाते, घर में धौंस दिखाते हुए। घर में हमेशा से एक गिलास पानी भी स्वयं से नहीं लेते, बाहर से आते ही, आवाज़ लगाते, “रवीना, कहाँ हो, कमरे में छुपकर मत बैठो, पानी लाओ, फटाफट चाय बनाओ, नहा कर आता हूँ।”

उनकी हमेशा से आदत है, रात 11 बजे भी आएँगे, तो नहाना है। 

समय को बदलते देर नहीं लगती। बच्चे अपनी गृहस्थी में व्यस्त हो गए। रह गए घर में दो बुज़ुर्ग प्राणी, रवीना अधिकतर अपनी सहेलियों के साथ किटी पार्टी या अलग-अलग समारोह में व्यस्त रहती और घर में दास बाबू टेलीविज़न, मोबाइल, किताबें, समाचार पत्र में व्यस्त रहते। 

बच्चे दूर थे, पर मम्मी पापा में उनकी जान बसती थी, रोज़ ही फोन, व्हाट्सअप पर ध्यान रखते थे। कुक भी लगवाया, पर खाने के शौक़ीन दास बाबू को सिर्फ़ पत्नी रवीना के हाथ का ही खाना भाता। पर समय ने ऐसी करवट ली, कि पूरे जीवन वही चूल्हे-चक्की में व्यस्त रही रवीना का मन उचट गया और वो भी लिखने-पढ़ने में व्यस्त रहने लगी। 

और पता नहीं कब दास बाबू मास्टर शेफ़्फ़ प्रोग्राम टेलीविज़न में देखते हुए, किचन के हर काम में माहिर हो गए। ‘मेड’ कुछ ऊपरी तैयारी कर देती थी। दास बाबू आधे घंटे में शानदार डिशेस बनाकर टेबल सजाने लगे और नए तरीक़ों से टेबल डेकोरेट कर हर दिन चार चाँद लगाने में माहिर हो गए। 

उनका कहना था, ये देखो ये है आधुनिक ट्रिक, जब कोई रिटायर्ड ‘मैनेजर’, ‘किचन मैनेज’ करेगा, तो हर चीज़ व्यवस्थित मिलेगी। और पत्नी रवीना की तो दसों उँगलियाँ घी में ही थी, आराम ही आराम!! 

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