चिड़िया बोली
अंजना वर्मा(लोरी)
चिड़िया बोली, "दुद्धू पी लो,
फिर मैं सैर कराऊँगी।
अपने पंखों पर बिठलाकर
दुनिया तुम्हें दिखाऊँगी।
पर्वत-घाटी के पीछे है
एक फलों का देश निराला।
छोटे पंछी-प्राणी को भी
कोई नहीं सताने वाला।
वहाँ उड़ाकर ले जाऊँगी
मीठे फल खिलवाऊँगी।
मेरे संगी-साथी सारे
नीले-नीले नभ के बादल।
कभी-कभी वे बन जाते हैं
नैनों वाले काले काजल।
हाथ मिलाना मेघों से तुम
उनसे मैं मिलवाऊँगी।
('पलकों में निंदिया' लोरी-संग्रह से)