चिड़िया बोली

01-12-2020

चिड़िया बोली

अंजना वर्मा (अंक: 170, दिसंबर प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

(लोरी)
 
चिड़िया बोली, "दुद्धू  पी लो,
फिर मैं   सैर   कराऊँगी।
अपने पंखों पर बिठलाकर
दुनिया तुम्हें दिखाऊँगी।
 
पर्वत-घाटी के पीछे है
एक फलों का देश निराला।
छोटे पंछी-प्राणी को भी 
कोई नहीं सताने वाला।
वहाँ उड़ाकर ले जाऊँगी 
मीठे फल खिलवाऊँगी।
 
मेरे संगी-साथी सारे 
नीले-नीले नभ के बादल।
कभी-कभी वे बन जाते हैं
नैनों वाले काले काजल।
हाथ मिलाना मेघों से तुम
उनसे मैं   मिलवाऊँगी।

('पलकों में निंदिया' लोरी-संग्रह से)

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
गीत-नवगीत
किशोर साहित्य कविता
रचना समीक्षा
ग़ज़ल
कहानी
चिन्तन
लघुकथा
साहित्यिक आलेख
बाल साहित्य कविता
विडियो
ऑडियो