आँसू आते हैं

15-05-2024

आँसू आते हैं

अंजना वर्मा (अंक: 253, मई द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

दुख में सबसे पहले दिल को
सहलाने आँसू आते हैं 
 
शीशे जैसा नाज़ुक अंतर
अक्सर चटक-चटक जाता है 
जीना होता दर्द झेलकर 
ओठ सिये सहता जाता है
घायल होने पर सुध लेने 
आए ना आए कोई जन 
मरहम-पट्टी करने सबसे 
पहले ये आँसू आते हैं 
 
मानव से मानव की दूरी
हर दिन बढ़ती ही जाती है 
सरगम बंद हुआ जाता है 
ख़ामोशी पसरी जाती है 
रेगिस्तानी इस दुनिया में 
जान झुलसती ही रहती है 
जलते मन की लपट बुझाने 
नैन नीर बरसा जाते हैं
 
अन्य मीत हो ना हो कोई 
ये आँखों में ही बसते हैं
दुख के गहन क्षणों के साथी
सुख में संग हँसा करते हैं 
नयन-झरोखों में आकर वे
शामिल ख़ुशियों में होते हैं 
और गवाही मिले ना मिले 
सच कहने आँसू आते हैं 
दुख में सबसे पहले दिल को 
सहलाने आँसू आते हैं

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